मध्यप्रदेश

अकोदिया के मिशनरी स्कूल में छात्रों का तिलक मिटाया:छात्राें का आरोप टीचर बोली- यीशू को मानो; विरोध करने पर मांगी माफी

Students' tilak removed in Akodia's missionary school: Girl students allege teacher said- believe Jesus; apologized for protesting

शाजापुर जिले के अकोदिया क्षेत्र में स्थित एक मिशनरी स्कूल अल्फोंसा हायर सेकंडरी स्कूल में तिलक लगाकर पहुंचे छात्रों को प्रवेश नहीं दिया। यहां मौजूद शिक्षकों ने छात्रों से कहा कि तिलक मिटाकर स्कूल में आ सकेंगे।

छात्र टीका मिटाए बिना अंदर गए तो वहां मौजूद शिक्षिका ने उसका तिलक मिटा दिया। छात्रों ने शुक्रवार को परिजनों को इसकी जानकारी दी। शनिवार सुबह बच्चे फिर से तिलक लगाकर पहुंचे तो आज भी उनका तिलक मिटा दिया। इस पर बच्चों ने और परिजनों ने विरोध जताया। सूचना मिलने पर विद्यार्थी परिषद और हिंदू संगठन के कार्यकर्ता वहां पहुंच गए। लोगों और विद्यार्थियों के विरोध के बाद स्कूल प्रशासन ने माफी मांगी।

यीशू को मानने का दबाव

छात्र का आरोप है कि वह तिलक लगाकर स्कूल पहुंचे थे। उन्हें गेट पर रोककर स्कूल प्रबंधन ने छात्र को तिलक मिटा कर स्कूल में आने की बात कही, छात्र ने जब तिलक नहीं मिटाया तो उसे स्कूल की शिक्षक ने क्लास में उसका तिलक मिटा दिया। उससे कहा कि यीशू को भगवान मानो।

स्कूल में कराया हनुमान चालीसा का पाठ
यह जानकारी लगने के बाद शनिवार सुबह बच्चे के परिजन, ABVP के कार्यकर्ता और हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं ने स्कूल में विरोध जताया। सूचना मिलने पर बड़ी संख्या में पुलिस बल भी मौके पर पहुंचा, मामले को शांत करवाया। इसके बाद स्कूल प्रशासन ने प्रदर्शन कर रहे लोगों से माफी मांगी। सभी बच्चों को प्रार्थना के साथ हनुमान चालीसा का पाठ करवाया। स्कूल में जय श्रीराम के नारे भी लगाए गए तब जाकर सभी बच्चों का गुस्सा शांत हुआ।

दोनों शिक्षकों को निलंबित करने की मांग
इसके बाद बच्चे तिलक मिटाने वाले शिक्षकों के निलंबन की मांग कर रहे हैं। विद्यार्थियों का कहना है कि जो शिक्षक हमसे दूसरे धर्म के भगवान को मानने की बात कह रहे हैं उन दोनों को स्कूल से निलंबित कर बाहर निकाला जाए। पुलिस और स्कूल प्रशासन चर्चा कर मामला सुलझाने का प्रयास कर रहा है।

पूजा-पाठ से रोकना गलत

हंगामा के दौरान स्कूल पहुंचे लोगों ने कहा कि विद्यालयों में अनुशासन बनाए रखने के लिए छात्र-छात्राओं को एक-सा गणवेश पहनने के लिए कहा जा सकता है। कोई छात्र अपने जन्मदिन, पूजा-पाठ या किसी विशेष अवसर पर तिलक लगाकर विद्यालय आया है, तो उसे तिलक मिटाने के लिए नहीं कहा जा सकता।

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