आजाद भारत का पहला टैक्स स्लैब : 10 हजार की कमाई पर लगता था 4 पैसे टैक्स, जानें 13 साल में कितना बदल गया टैक्स स्लैब

भारत को आजाद हुए 70 साल से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है। पिछले लगभग इतने ही सालों से देश में हर साल बजट भी पेश किया जा रहा है। हर बार के बजट में लोगों को बड़ी उम्मीदें टैक्स स्लैब से होती हैं। इस तरह से कहा जाए तो भारत के करदाता भी 70 साल का लंबा सफर तय कर चुके हैं। बजट पेश किए जाने का वक्त एक ऐसा समय होता है जब सबसे ज्यादा बात इनकम टैक्स रेप पर होती है। हर किसी को उम्मीद होती है कि इस बार वित्त मंत्री टैक्स स्लैब को थोड़ा ऊपर बढ़ाकर आम लोगों को राहत देंगे। जानते हैं भारत की आजादी के बाद वह बजट, जब पहली बार टैक्स दरें तय की गई थीं और वर्तमान यानी 2023 में टैक्स स्लैब के की स्थिति में पिछले 13 साल के दौरान टैक्स स्लैब में कैसे-कैसे बदलाव हुए हैं।
1949-50 का बजट : भारत के आजाद होने के बाद पहली बार तय कीं टैक्स की दरें
इनकम टैक्स ऐसी चीज़ है जिसको लेकर हमेशा चर्चा होती रहती है, कितना टैक्स लिया जाए, इसे लेकर न देश में ना ही दुनिया कोई एक मानक है, बल्कि समय समय पर ये बदलते रहते हैं। लेकिन दिलचस्प ये है कि टैक्स हर दौर में रहा है। आजादी के बाद भारत में पहली बार 1949-50 के बजट में इनकम टैक्स की दरें तय की गई थीं। उस समय के वित्त मंत्री जॉन मथाई ने बजट पेश किया था। इस बजट के पहले 10 हजार की आमदनी पर 1 आना यानी 4 पैसे टैक्स चुकाना पड़ता था, जिसे घटाकर 10,000 रुपए तक की आमदनी पर 3 पैसे कर दिया गया, जबकि, 10,000 रुपये से अधिक आय वालों पर लगने वाले टैक्स को 2 आने से कम करके 1.9 आना कर दिया गया। साल 1950 में 1,500 रुपये तक की आय पर कोई इनकम टैक्स नहीं चुकाना था. जबकि 1,501 रुपये से 5,000 रुपये की आय तक 9 पाई यानी 4.69 फीसदी इनकम टैक्स चुकाना पड़ता था। जिनकी आय 5,001 रुपये से 10,000 रुपये तक थी उन्हें एक आना और 9 पाई यानी 10.94 फीसदी इनकम टैक्स चुकाना होता था। जिन व्यक्तियों की आय 10,001 रुपये से 15,000 रुपये तक थी। उन्हें 21.88 फीसदी इनकम टैक्स चुकाना पड़ता था। वहीं 15,001 रुपये से अधिक आय वालों को 31.25% कर चुकाना होता था। इसके बाद समय के साथ टैक्स में बदलाव होते गए।
13 सालों में कितना बदल गया टैक्स स्लैब…
2010-11 का बजट : 1.6 लाख रुपये तक सालाना कमाई पर कोई टैक्स नहीं
यूपीए-2 में इस वक्त प्रणब मुखर्जी देश के वित्त मंत्री थे। उन्होंने इनकम स्लैब्स में बदलाव किया। उन्होंने घोषणा की कि वे लोग जो 1.6 लाख रुपये तक सालाना कमा रहे हैं उन्हें अब कोई टैक्स नहीं देना होगा। 1.6 लाख से 5 लाख रुपये तक कमाने वालों पर 10 फीसद टैक्स लगाया गया। 5 लाख से 8 लाख तक कमाने वालों पर 20 फीसद टैक्स टैक्स लगाया गया। 8 लाख सालाना से ज्यादा आय वालों को 30 फीसद टैक्स स्लैब में रखा गया।
2012-13 का बजट : दो लाख रुपये तक सालाना कमाई पर कोई टैक्स नहीं
प्रणब मुखर्जी ने शून्य टैक्स वाले स्लैब को 1.8 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दिया और बाकी टैक्स स्लैब्स में भी आमूल-चूल बदलाव किए। उन्होंने घोषणा की कि 2 लाख तक कमाने वालों पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। 2 लाख से 5 लाख रुपये सालाना कमाने वालों पर 10 फीसद और 5 लाख से 10 लाख की आय करने वालों को 20 फीसद टैक्स स्लैब में रखा गया। 10 लाख से ज्यादा आमदनी वाले लोगों पर 30 फीसद टैक्स लगाया गया।
2014-15 का बजट : 2.5 लाख रुपये तक सालाना कमाई पर कोई टैक्स नहीं
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मोदी सरकार के पहले बजट में न्यूनतम टैक्स स्लैब को बढ़ाया गया। अब तक सालाना दो लाख रुपये तक कमाने वाला व्यक्ति टैक्स देने की सीमा से बाहर आता था। जेटली ने इस बजट में 2.5 लाख की सालाना आय वाले लोगों को टैक्स से छूट की घोषणा की यानी वित्त वर्ष 2014-15 में आपको इनकम टैक्स में कुछ फायदा होना तय है। वरिष्ठ नागरिकों को अब 3 लाख रुपये की सालाना कमाई पर टैक्स नहीं देना होगा।
2015-16 का बजट : इनकम टैक्स की छूट और स्लैब में कोई बदलाव नहीं
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट में नौकरीपेशा लोगों को कोई राहत नहीं दी है। बजट में इनकम टैक्स की छूट और स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया। अभी तक ढाई लाख रुपये की इनकम पर टैक्स में छूट मिलती थी और यही छूट अगले वित्त वर्ष में भी लागू रहेगी। पहले की तरह 2.5 से 5 लाख रुपये की इनकम पर 10 फीसदी, 5 से 10 लाख पर 20 फीसदी और 10 लाख से ऊपर की इनकम पर 30 फीसदी टैक्स लगेगा, जबकि सीनियर सिटीजन को 3 से 5 लाख रुपये की इनकम पर 10 फीसदी, 5 से 10 लाख पर 20 फीसदी और 10 लाख से ऊपर की इनकम पर 30 फीसदी टैक्स देना होगा। बजट में वेल्थ टैक्स को 2016-17 से खत्म कर दिया गया। वेल्थ टैक्स को हटाकर 1 करोड़ से ज्यादा सालाना कमाने वालों पर 2 फीसद का सरचार्ज लगाया। इस कारण 2016-17 के बाद से वेल्थ टैक्स रिटर्न भरना खत्म हो गया।
2017-18 का बजट : 2.5 से 5 लाख रुपये की कमाई पर 5% टैक्स
अरुण जेटली ने 2.5 लाख से 5 लाख रुपये तक कमाने वालों पर टैक्स 10 फीसद से घटाकर 5 फीसद कर दिया। इसके साथ ही आयकर कानून, 1961 के सेक्शन 87ए में रीबेट को 2.5 लाख से 3.5 लाख तक कमाने वालों के लिए 5 हजार से घटाकर 2.5 हजार कर दिया गया। इस कारण 3 लाख रुपये तक कमाने वालों पर आयकर लगभग खत्म हो गया और 3 लाख से 3.5 लाख तक सालाना कमाने वालों के लिए यह 2,500 रुपये रह गया। मालूम हो, पुरानी अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था की जगह वस्तु एवं सेवा कर 1 जुलाई, 2017 को देश में लागू हुआ था। आजादी के बाद जीएसटी को सबसे बड़ा टैक्स सुधार माना जाता है।
बजट 2018-19: इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया। अब इनकम टैक्स स्लैब वही रहेगी जो 2017-18 में थी। करदाताओं को इस बजट से खासी उम्मीद थी। ढाई लाख रुपये तक की सालाना आय कर मुक्त है, जबकि ढाई से पांच लाख रुपये की आय पर पांच प्रतिशत की दर से कर लगता है। इसके बाद पांच से दस लाख रुपये की आय पर 20 प्रतिशत और दस लाख रुपये से अधिक की आय पर तीस प्रतिशत दर से कर देय होगा।
बजट 2019-20 : 5 लाख तक की सालाना आय वालों को नहीं देना होगा टैक्स
चुनावी साल को देखते हुए जिसकी उम्मीद थी, वही हुआ। मोदी सरकार ने अंतरिम बजट में निम्न मध्य वर्ग को बड़ा तोहफा दिया है। कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने आज कहा कि 5 लाख रुपये तक की सालाना टैक्सेबल आमदनी वाले करदाताओं को अब टैक्स में पूरी छूट मिलगी और उन्हें कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा। हालांकि, जिनकी टैक्सेबल इनकम 5 लाख से ज्यादा है वे इस छूट के दायरे में नहीं आएंगे क्योंकि टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं हुआ है। इससे करीब 3 करोड़ करदाताओं को करों में 18,500 करोड़ रुपये का लाभ मिलेगा।
बजट 2020-21 : 5 से 7.5 लाख तक आय पर 10 फीसदी का टैक्स
मोदी सरकार ने बजट 2020-21 में करदाताओं को बड़ी राहत दी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टैक्स स्लैब में अहम बदलाव किए। नई कर व्यवस्था में 2.5 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। 2.5 लाख से 5 लाख तक की आय पर 5 फीसदी टैक्स लगेगा। 5 से 7.5 लाख तक आय पर 10 फीसदी का टैक्स लगेगा। पहले 10 फीसदी का स्लैब नहीं था। 7.5 लाख से 10 लाख की आय पर 15 फीसदी टैक्स होगा। 10 लाख से 12.5 लाख की आय पर 20 फीसदी टैक्स होगा। नई टैक्स व्यवस्था के तहत इसमें कोई डिडक्शन शामिल नहीं होगा, जो डिडक्शन लेना चाहते हैं वो पुरानी दरों से टैक्स दे सकते हैं। नई कर व्यवस्था के तहत, 2.5 लाख रुपये तक की आय कर मुक्त रहेगी। 2.5 से पांच लाख तक की आय पर पांच प्रतिशत की दर से कर लगेगा, लेकिन 12,500 रुपये की राहत बने रहने से इस सीमा तक की आय पर कोई कर नहीं लगेगा।
2021-22: इनकम टैक्स स्लैब में नहीं किया कोई बदलाव
मोदी सरकार के इस बजट में करदाताओं को कोई राहत नहीं मिली, मगर सरकार ने 75 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों को रियायत दी है। सरकार ने ऐलान किया कि अब 75 साल से अधिक उम्र के लोगों को इनकम टैक्स भरने की जरूरत नहीं होगी। हालांकि, सरकार ने इस बार टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया।
2022-23: सालाना सात लाख रुपए तक की टैक्स फ्री, जानें कैसे?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में मौजूदा सिस्टम को न छेड़ते हुए नया इनकम टैक्स स्लैब दिया। ये स्लैब नए टैक्स रिजीम में दिया गया। नए इनकम टैक्स स्लैब में सालाना सात लाख रुपए तक की इनकम को टैक्स फ्री कर दिया गया है। मतलब अगर आपकी सालाना कमाई 7 लाख रुपए है तो आपको रिबेट के साथ कोई टैक्स देने की जरूरत नहीं होगी। न्यू टैक्स रिजीम में बेसिक एग्जेम्प्शन लिमिट (Tax free limit) 3 लाख रुपए कर दी गई। पहले 2.5 लाख रुपए की इनकम तक कोई टैक्स नहीं था, वहीं, अब 6 टैक्स स्लैब की जगह अब 5 टैक्स स्लैब होंगे, जिसमें 5 लाख रुपए के बजाए रिबेट के साथ 7 लाख रुपए तक की इनकम टैक्स फ्री होगी। अगर इनकम 7 लाख रुपए से नीचे है तो कोई टैक्स नहीं देना होगा। आपको रिबेट के साथ छूट मिल जाएगी लेकिन, अगर आपकी इनकम 7 लाख 50 हजार है, तो ऐसा नहीं है कि आपकी सात लाख की कमाई पर टैक्स नहीं लगेगा. बल्कि टैक्स का कैलकुलेशन ऐसे होगा.
आयकर दिवस की 163वीं एनिवर्सरी
आयकर विभाग देश में आयकर प्रावधान लागू होने के उपलक्ष्य में हर साल 24 जुलाई को आयकर दिवस या आयकर दिवस के रूप में मनाता है। इसी दिन वर्ष 1860 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हुए नुकसान की भरपाई के लिए सर जेम्स विल्सन द्वारा भारत में मूल रूप से आयकर लागू किया गया था। यह आयकर दिवस की 163वीं एनिवर्सरी है।
आयकर दिवस पर सीबीडीटी आयकर (CBDT Income Tax) और इसके महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों और गतिविधियों का आयोजन करता है। इन आयोजनों में सेमिनार , कार्यशालाएं और आउटरीच कार्यक्रम शामिल हैं। सीबीडीटी आयकर दिवस (CBDT Income Tax Day) पर एक स्मारक डाक टिकट (Postage Stamp) भी जारी करता है। आयकर दिवस भारत सरकार और करदाताओं (Tax Payers) के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। यह आयकर के महत्व का जश्न मनाने और ईमानदारी से और समय पर अपने करों का भुगतान करने की हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने का दिन है।
आयकर दिवस समारोह
इस अवसर से पहले के सप्ताह में आयकर विभाग के क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा कई गतिविधियां की जाती हैं। मूल्य मानदंड के रूप में कर भुगतान को बढ़ावा देने और संभावित करदाताओं को जागरूक करने के लिए देश भर में आउटरीच कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसके माध्यम से यह बताया जाता है कि आयकर का भुगतान करना नागरिकों का नैतिक कर्तव्य है।आयकर दिवस का इतिहास
क्यों मनाया जाता है आयकर दिवस
24 जुलाई, 1860 को भारत में आयकर की अवधारणा पेश की गई थी। इसे 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश सरकार को हुए नुकसान की भरपाई के लिए सर जेम्स विल्सन ने आयकर को पेश किया था। आयकर दिवस से एक सप्ताह पहले या जिसे हम आयकर दिवस सप्ताह कहते हैं, देशभर में आईटी विभाग के क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा विभिन्न गतिविधियां की जाती हैं। क्षेत्रीय या राष्ट्रीय स्तर के कार्यालय मूल्य मानदंड के रूप में करों के भुगतान को बढ़ावा देने और संभावित करदाताओं को जागरूक करने के लिए हर साल देश भर में विभिन्न आउटरीच कार्यक्रम आयोजित करते हैं कि करों का भुगतान सभी नागरिकों का नैतिक कर्तव्य है।
आयकर विभाग
राष्ट्रीय राजधानी में स्थित मुख्यालय, आयकर विभाग भारत सरकार (Indian Government) के लिए प्रत्यक्ष कर संग्रह के लिए जानी जाती है, जो वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) में राजस्व विभाग (Department of Revenue) के अन्तर्गत कार्य करता है। जिसका नेतृत्व CBT यानी केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की एक संस्था करती है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board Of Direct Taxes) के बारे में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड केंद्रीय राजस्व बोर्ड अधिनियम (Board of Revenue Act), 1963 के तहत कार्य करने वाला एक वैधानिक प्राधिकरण है। बोर्ड के अधिकारी अपनी पदेन क्षमता में प्रत्यक्ष कर लगाने और संग्रहण से संबंधित मामलों से निपटने वाले मंत्रालय के एक विभाग के रूप में भी काम करते हैं।
आयकर दिवस का इतिहास
24 जुलाई 1860 को तत्कालीन ब्रिटिश वित्त मंत्री सर जेम्स विल्सन द्वारा भारत में आयकर (Income Tax)आरंभ किया गया था। यह अमीरों, शाही परिवारों और ब्रिटिश नागरिकों पर लगाया जाने वाला ऐसा कर था जो शक्तिशाली लोगों को पसंद नहीं था। जेम्स विल्सन द्वारा आयकर का आरंभ ब्रिटिश सरकार के लिए राजस्व बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया था। तब से भारतीय आयकर प्रणाली महत्वपूर्ण रूप से विकसित हुई है। इसे वित्त मंत्रालय के तहत केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT)द्वारा प्रबंधित किया जाता है। भारत में आयकर प्रणाली एक प्रगतिशील कर संरचना पर आधारित है जहां अधिक आय वाले व्यक्तियों और संस्थाओं पर उच्च दरों पर कर लगाया जाता है। भारत में पहली बार 2010 में 24 जुलाई को आयकर दिवस(Income Tax Day)के रूप में मनाने का फैसला लिया गया। 24 जुलाई 2010 को पहला आयकर दिवस मनाया गया था। प्रथम आयकर दिवस का उद्घाटन तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने किया था। प्रथम आयकर दिवस को यादगार बनाने के लिए आयकर विभाग द्वारा डाक टिकट और सिक्के भी जारी किए गए थे।
आयकर क्या है?
आयकर एक प्रकार का प्रत्यक्ष कर है। यह लोगों और निगमों द्वारा दी गई आय पर सरकार द्वारा लगाया जाता है। करों के माध्यम से सरकार राजस्व उत्पन्न करती है। आयकर से प्राप्त धन शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, बुनियादी ढांचे के विकास, कृषि सब्सिडी और अन्य सरकारी कल्याणकारी कार्यक्रमों पर खर्च किया जाता है।
आयकर के दो प्रकार
- प्रत्यक्ष कर : अर्जित आय पर सीधे लगाया जाने वाला कर प्रत्यक्ष कर है। आयकर एक प्रकार का प्रत्यक्ष कर है।
- अप्रत्यक्ष कर : अप्रत्यक्ष कर सरकार द्वारा वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाता है। और इसे एक इकाई से दूसरी इकाई में स्थानांतरित किया जाता है।
कौन है करदाता
भारत में 60 वर्ष से कम उम्र का कोई भी भारतीय व्यक्ति ढाई लाख रुपए से अधिक आय प्राप्त करता है तो उसे सरकार को कर देना होता है। कराधान के प्रयोजन के लिए आयकर अधिनियम कानूनी और गैर- कानूनी आय के बीच कोई भेद नहीं करता है। भारतीय आयकर कानून के तहत करदाताओं पर उनकी आय पर स्लैब के आधार पर कर लगाया जाता है, जबकि भारतीय कंपनियों और व्यवसायो के कर योग्य मुनाफे पर कर का एक निश्चित मूल्य होता है।
आय के प्रकार
भारत में आय अर्जित करने वाला प्रत्येक व्यक्ति आयकर के अधीन होता है। राजस्व कर विभाग आय को प्रमुख पांच श्रेणियों में विभाजित करता है1- वेतन आय – इस श्रेणी के तहत पेंशन और वेतन से प्राप्त आय पर कर लगाया जा सकता है।2- संपत्ति आय – संपत्ति आए के तहत आवास किराए पर लेना कर योग्य है।3- व्यवसाय आय – व्यवसाय आय के तहत स्वरोजगार व्यक्तियों, व्यवसायों,ठेकेदारों, जीवन बीमा एजेंटों, चार्टर्ड अकाउंटेंट, डॉक्टरों और वकीलों, ट्यूशन शिक्षकों और पेशेवरों द्वारा प्राप्त की गई आय कर योग्य है।4-पूंजीगत लाभ आय – स्टॉक या रियल स्टेट, म्यूच्यूअल फंड जैसे पूंजीगत संपत्तियों की बिक्री से जो आय होती है वह भी कर योग्य है।5- इसके अतिरिक्त बचत बैंक खाते की ब्याज, सावधि जमा और लॉटरी जीत से जो आय प्राप्त होती है वह भी कर योग्य है।
कैसे की जाती है आयकर की गणना
आयकर की गणना करने के लिए कर वर्ष में अर्जित कर योग्य आय के सभी स्रोतों को जोड़ना होता है। आयकर की गणना में उम्र का बहुत महत्व होता है। वित्त वर्ष चुनने के बाद उम्र बताएं। इसके पश्चात अपने कर योग्य आय में एचआरए, एलटीए और स्टैंडर्ड डिडक्शन को माइनस करें। ब्याज से होने वाली आय, किराए से होने वाली आय, होम लोन पर ब्याज और स्वयं की संपत्ति पर लिए गए लोन के ब्याज का भुगतान करना होगा ।इसके पश्चात आयकर की धारा 80 सी 80डी 80जी 80ई और 80टी टी ए के तहत किए गए निवेश के बारे में जानकारी देनी होती है। तत्पश्चात अपने कर की देनदारी को कैलकुलेट करना होता है।
वर्तमान में भारत में आयकर संबंधी क्या है प्रावधान
आयकर के मामले में अच्छे दिन आते दिख रहे हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2023 के बजट भाषण में आयकर को लेकर पांच बड़ी घोषणाएं की हैं।1- सात लाख तक की आमदनी पर कोई कर नहीं लगेगा पहले 5 लाख की आमदनी पर कर नहीं देना होता था। लेकिन अब यह सीमा 7 लाख होगी। नई कर व्यवस्था में छूट दी गई है।2-आयकर में छूट की शुरुआती सीमा को बढ़ाकर 3 लाख रुपए कर दिया गया है जो पहले ढाई लाख रुपए थी।3- सबसे ज्यादा आमदनी वालों पर टैक्स घटा है ।भारत में सबसे अधिक आमदनी वालों के लिए टैक्स रेट 42.74% था जो विश्व में सबसे ज्यादा है लेकिन वर्ष 2023 में इसे घटाकर 39% कर दिया गया है।4- स्टैंडर्ड डिडक्शन – यदि आपकी आय 15.58 रुपए या उससे अधिक है तो स्टैंडर्ड डिडक्शन में 52,500 का फायदा होगा। पहले स्टैंडर्ड रिडक्शन 50,000 रुपए था।5- लीव इन एनकैसमेंट-2002 में गैर सरकारी वेतनशुदा कर्मचारियों को रिटायरमेंट पर लीव एनकैशमेंट में आयकर छूट की सीमा 3 लाख रुपए तय की गई थी। 2023 में इस सीमा को बढ़ाकर 25 लाख रुपए कर दिया गया है। यानी 25 लाख रुपए तक लीव एनकैशमेंट कर मुक्त होगा।